मुख्यमंत्री उद्यमी योजना बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई एक विशेष योजना है, जिसका उद्देश्य प्रदेश में छोटे उद्यमियों को वित्तीय सहायता देकर स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है। यह योजना उन लोगों के लिए है जो अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं। सरकार इस योजना के तहत उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करती है, जिसमें 50% अनुदान होता है और शेष राशि ब्याज मुक्त लोन के रूप में दी जाती है।
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का उद्देश्य
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के युवाओं और छोटे व्यापारियों को वित्तीय सहायता देकर उन्हें स्वावलंबी बनाना है। इस योजना के तहत, सरकार की मंशा है कि युवा रोजगार मांगने के बजाय रोजगार सृजक बनें। यह योजना खासकर उन वर्गों के लिए महत्वपूर्ण है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिनके पास व्यवसाय शुरू करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है।
ऋण की प्रक्रिया और किश्तें
इस योजना के अंतर्गत ऋण तीन चरणों में दिया जाता है:
- पहली किश्त: उद्यम शुरू करने के लिए शेड निर्माण, बिजली और सुरक्षा से जुड़ी व्यवस्थाओं के लिए दी जाती है।
- दूसरी किश्त: मशीनों की खरीद और स्थापित करने के लिए प्रदान की जाती है।
- तीसरी किश्त: मशीनों के ट्रायल के बाद कार्यशील पूंजी के रूप में दी जाती है, ताकि उद्यमी अपने व्यवसाय का संचालन शुरू कर सके।
ऋण को सात साल (84 किश्तों) में चुकाने की व्यवस्था है, जिसमें उद्यमी को मासिक किश्तें जमा करनी होती हैं। लाभुकों को यह सुनिश्चित करना होता है कि वे समय पर अपनी किश्तें जमा करें।
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के लाभ
- 10 लाख रुपये तक का ऋण, जिसमें आधी राशि अनुदान होती है और शेष राशि ब्याज मुक्त होती है।
- इस योजना के माध्यम से उद्यमी आत्मनिर्भर बन सकते हैं और रोजगार के अवसर भी प्रदान कर सकते हैं।
- योजना के तहत चयनित लाभुकों को व्यवसाय संचालन के लिए विशेष प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना पात्रता
- आवेदक बिहार का स्थायी निवासी होना चाहिए।
- आवेदक की आयु 18 से 45 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- आवेदक के पास न्यूनतम 10वीं पास का प्रमाणपत्र होना आवश्यक है।
- योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक को व्यवसाय शुरू करने की योजना प्रस्तुत करनी होती है।
हाल की घटनाएँ
हाल ही में इस योजना के तहत सारण जिले के 340 लाभुकों को नोटिस जारी किए गए हैं। इन लाभुकों ने 2018 से 2022 के बीच इस योजना के तहत 5 लाख रुपये का ऋण लिया था, लेकिन मासिक किस्तों का भुगतान नहीं कर रहे थे। उद्योग विभाग ने उन्हें नोटिस भेजकर बकाया राशि जमा करने का निर्देश दिया है। यदि वे समय पर भुगतान नहीं करते हैं, तो विभाग कानूनी कार्रवाई करेगा। यह घटना दिखाती है कि सरकार इस योजना के तहत दी गई राशि की सख्त निगरानी कर रही है ताकि योजना का दुरुपयोग न हो।