RBI New Guidelines 2025: नई साल से 3 प्रकार के बैंक खाते होंगे बंद, RBI के नए नियम जारी

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2025 में लागू होने वाले नए दिशा-निर्देशों के तहत कुछ महत्वपूर्ण बदलावों का ऐलान किया है। इन नए नियमों के तहत 1 जनवरी 2025 से तीन प्रकार के बैंक अकाउंट्स बंद कर दिए जाएंगे। ये बदलाव बैंकिंग प्रणाली को और भी सुरक्षित, पारदर्शी, और आधुनिक बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं। आइए, जानते हैं कौन से वे अकाउंट्स हैं जो इस बदलाव का शिकार होंगे और इसके पीछे के कारण क्या हैं।

1. डोरमेंट अकाउंट (Dormant Account)

डोरमेंट अकाउंट्स वे खाते होते हैं जिनमें लंबे समय से कोई भी लेन-देन नहीं हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, यदि किसी खाते में 2 साल तक कोई लेन-देन नहीं होता है, तो उस खाते को डोरमेंट यानी निष्क्रिय (Inactive) घोषित कर दिया जाता है। इस प्रकार के खाते आमतौर पर सुरक्षा कारणों से बंद किए जाते हैं क्योंकि इनमें धोखाधड़ी या अनधिकृत लेन-देन का खतरा बढ़ सकता है। बैंक इन खातों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए विशेष कदम उठाते हैं और समय के साथ इन खातों को निष्क्रिय घोषित कर देते हैं।

डोरमेंट अकाउंट बंद करने का एक अन्य कारण यह है कि बैंकिंग क्षेत्र में डिजिटल लेन-देन और ऑनलाइन बैंकिंग का चलन बढ़ रहा है, जहां हर लेन-देन की ट्रैकिंग होती है। इन निष्क्रिय खातों को अपडेट किया जाता है, लेकिन इनमें कमी की वजह से बैंकों का कामकाज प्रभावित हो सकता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए RBI ने इन अकाउंट्स को बंद करने का निर्णय लिया है।

2. इनएक्टिव अकाउंट (Inactive Account)

इनएक्टिव अकाउंट्स वे होते हैं जिनमें कुछ समय से कोई भी गतिविधि नहीं की जाती है। इन खातों को बैंक के रिकॉर्ड में निष्क्रिय के रूप में दर्ज किया जाता है। इनअक्टिव अकाउंट्स में कम से कम छह महीने या एक वर्ष तक कोई लेन-देन नहीं हुआ होता। जैसे ही किसी खाते में गतिविधि नहीं होती, बैंक उसे इनएक्टिव कर देता है। इस प्रकार के अकाउंट्स में धोखाधड़ी की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि ये खाते नियमित रूप से मॉनिटर नहीं किए जाते।

आरबीआई के अनुसार, इनअक्टिव अकाउंट्स को बंद करने से बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा में सुधार होगा और साथ ही बैंक का कामकाज ज्यादा सुचारू रूप से चलेगा। बैंकों के लिए ये खाते एक अतिरिक्त बोझ बनते हैं, जिन्हें प्रबंधित करने में बहुत मेहनत और संसाधनों की आवश्यकता होती है।

3. जीरो बैलेंस अकाउंट (Zero Balance Account)

जीरो बैलेंस अकाउंट वह खाते होते हैं जिनमें कोई बैलेंस नहीं होता है या बहुत कम बैलेंस होता है। ये खाते आमतौर पर उन लोगों के लिए होते हैं जो बैंक खाता खोलने के बाद नियमित रूप से पैसे जमा नहीं करते। हालांकि इस प्रकार के खाते गरीबों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इन खातों का रखरखाव बैंक के लिए मुश्किल बन जाता है। इस प्रकार के खातों से बैंक को कोई आय नहीं होती है और इनकी कोई आर्थिक गतिविधि भी नहीं होती।

आरबीआई के अनुसार, इन खातों को बंद करना इस बात को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि बैंकिंग प्रणाली में सभी खातों का उपयोग सही तरीके से किया जाए। एक खाली खाते का कोई उपयोग नहीं होता और यह सिस्टम को अतिरिक्त बोझ डालता है। जीरो बैलेंस अकाउंट्स के कारण बैंकों को अदृश्य लागत उठानी पड़ती है।

इन बदलावों के फायदे

  • सुरक्षा बढ़ेगी: इन खातों को बंद करने से बैंकिंग प्रणाली में धोखाधड़ी, अनधिकृत लेन-देन और अन्य सुरक्षा संबंधित समस्याओं में कमी आएगी।
  • बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता: जब बैंक में कम से कम अकाउंट्स होंगे, तो इनका सही तरीके से मॉनिटरिंग करना आसान होगा।
  • कुशल प्रबंधन: बैंक इन खातों को बंद करके अपनी प्रबंधन प्रणाली को अधिक कुशल बना सकते हैं और संसाधनों का सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
  • डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा मिलेगा: इन बदलावों के कारण लोग डिजिटल प्लेटफार्मों की ओर रुझान बढ़ाएंगे, जिससे बैंकिंग प्रणाली की आधुनिकता बढ़ेगी।

खाताधारकों के लिए क्या करें?

यदि आपका बैंक खाता डोरमेंट, इनएक्टिव या जीरो बैलेंस अकाउंट है, तो आपको जल्द से जल्द अपने खाते को सक्रिय करना होगा। अगर आपके खाते में कोई गतिविधि नहीं हुई है, तो आप उसे सक्रिय करने के लिए बैंक से संपर्क कर सकते हैं। यदि खाता निष्क्रिय हो गया है, तो आपको उसे पुनः सक्रिय करने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। इसके अलावा, यदि आपके खाते में बैलेंस नहीं है, तो आपको उसे सही तरीके से प्रबंधित करना होगा।

बैंक के नए नियमों के बारे में जानकारी रखना और समय-समय पर अपने खाते की स्थिति की जांच करना महत्वपूर्ण है ताकि आपको किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment