Right To Education: फ्री शिक्षा योजना में हुआ बड़ा बदलाव, नियम 5वीं व 8वीं कक्षा के बच्चों पर लागू

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भारत में शिक्षा के अधिकार को लेकर एक बड़ा बदलाव आया है, जिससे छात्रों के लिए एक नया अध्याय शुरू हुआ है। अब तक, ‘निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार’ (RTE) के तहत 5वीं और 8वीं कक्षा के छात्रों को फेल नहीं किया जा सकता था। लेकिन शिक्षा मंत्रालय ने अब इस नीति में बदलाव किया है।

नए बदलाव का क्या है असर?

अब 5वीं और 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए वार्षिक परीक्षा में फेल होने पर उनके पास पुनः परीक्षा देने का मौका होगा, लेकिन यदि वे पुनः परीक्षा में भी असफल रहते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में नहीं भेजा जाएगा। पहले के नियमों के मुताबिक, इन कक्षाओं के विद्यार्थियों को रुकने का या फेल होने का डर नहीं था। लेकिन नए नियमों में छात्रों को अपनी कड़ी मेहनत की ओर उकसाया जाएगा और उन्हें अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लेने की आवश्यकता होगी।

नियमों में बदलाव कब से लागू हुआ?

यह नया बदलाव 16 दिसंबर 2024 से लागू हो चुका है और अब यह पूरे देश भर में प्रभावी है। अब 5वीं और 8वीं कक्षा में अगर कोई विद्यार्थी असफल हो जाता है, तो उसे 2 महीने के अंदर एक और अवसर दिया जाएगा परीक्षा देने का। अगर इस बार भी वह परीक्षा में असफल रहता है, तो उसे अगले साल उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा।

क्या होगा यदि विद्यार्थी फिर भी फेल हो जाता है?

यदि विद्यार्थी दोबारा परीक्षा में असफल हो जाता है, तो उसे अगली कक्षा में नहीं प्रमोट किया जाएगा। इसके बजाय, उसे पुनः उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा। इस दौरान विद्यार्थियों को अधिक समय और ध्यान दिया जाएगा ताकि उनकी कमजोरियों को दूर किया जा सके और उन्हें अगले साल के लिए तैयार किया जा सके।

माता-पिता की भूमिका

अब इस नए बदलाव में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर नजर रखने का जिम्मा सिर्फ शिक्षकों पर नहीं होगा, बल्कि अभिभावकों का भी इसमें अहम योगदान होगा। शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता को भी बच्चों की प्रगति के बारे में जानकारी दी जाएगी, ताकि वे अपनी संतान की पढ़ाई में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठा सकें।

नए नियमों का उद्देश्य

इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ाना है। पहले जब बच्चों को फेल करने का कोई प्रावधान नहीं था, तो यह देखा गया कि कई बच्चे पढ़ाई में बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखाते थे और उन्हें कोई खास दबाव नहीं महसूस होता था। अब, जब बच्चे यह जानेंगे कि अगर वे असफल होते हैं, तो उन्हें अपनी कक्षा में ही रुकने का सामना करना पड़ेगा, तो वे अपनी पढ़ाई को अधिक गंभीरता से लेंगे।

इन नियमों से बच्चों की बुनियादी समझ और कौशल को मजबूत करने की कोशिश की जाएगी। साथ ही, यह कदम शिक्षा मंत्री द्वारा लिया गया है ताकि बच्चों की समग्र विकास की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके। पहले के बजाय अब बच्चों को सिर्फ रटने की बजाय, उनके व्यवहारिक ज्ञान और समग्र विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा।

इस बदलाव से विद्यार्थियों को क्या फायदा होगा?

नए बदलावों से विद्यार्थियों को कई फायदे हो सकते हैं। इस बदलाव के बाद, बच्चों को समझने की दिशा में और गंभीरता से काम किया जाएगा। अब यह सिर्फ पाठ्यक्रम को पूरा करने की बात नहीं होगी, बल्कि बच्चों की मानसिकता और समझ पर भी ध्यान दिया जाएगा।

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