प्याज की खेती करने वाले किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है। सरकार ने प्याज भंडारण के लिए गोदाम बनाने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने की घोषणा की है। इस पहल का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज को सुरक्षित रखने में मदद करना और बाजार में उचित मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाना है।
योजना का उद्देश्य और लाभ
अक्सर देखा गया है कि प्याज की फसल के बाद उचित भंडारण की कमी के कारण किसानों को अपनी उपज कम कीमत पर बेचनी पड़ती है, जिससे उन्हें नुकसान होता है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने “समेकित बागवानी विकास मिशन” (MIDH) के तहत प्याज भंडारण गोदाम बनाने के लिए सब्सिडी प्रदान करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत, किसान 25 मीट्रिक टन क्षमता का गोदाम बना सकते हैं, जिसकी अनुमानित लागत 1.75 लाख रुपये है। सरकार इस लागत का 50 प्रतिशत, यानी 87,500 रुपये तक का अनुदान देगी।
सब्सिडी की बढ़ी हुई राशि
महंगाई और निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने प्याज भंडारण गोदाम की इकाई लागत को संशोधित किया है। अब 25 मीट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम के लिए प्रति मीट्रिक टन लागत 10,000 रुपये निर्धारित की गई है। इस प्रकार, कुल लागत 2.5 लाख रुपये होती है, जिसमें से 50 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाएगा।
उच्च क्षमता वाले गोदामों के लिए प्रावधान
सरकार ने उच्च क्षमता वाले प्याज भंडारण गोदामों के निर्माण को भी प्रोत्साहित किया है। अब किसान 1,000 मीट्रिक टन तक की क्षमता वाले गोदाम बना सकते हैं, जिसके लिए भी सब्सिडी का प्रावधान है। इससे बड़े पैमाने पर प्याज उत्पादन करने वाले किसानों को अपनी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
अन्य संबंधित योजनाएं
प्याज भंडारण के अलावा, सरकार बागवानी फसलों के समग्र विकास के लिए अन्य योजनाएं भी चला रही है, जैसे कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), और परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)। इन योजनाओं के माध्यम से भी किसानों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान की जाती है।
आवेदन प्रक्रिया
जो किसान इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, उन्हें अपने राज्य के उद्यानिकी विभाग से संपर्क करना होगा। आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों में भूमि स्वामित्व प्रमाण, पहचान पत्र, बैंक खाता विवरण आदि शामिल हो सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी के लिए किसान अपने जिले के उद्यानिकी विभाग के कार्यालय या आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।