महाराष्ट्र राज्य के किसानों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई “नमो शेतकारी महासंमान निधि योजना” के तहत 6वीं किस्त का वितरण जल्द ही होने वाला है। यह योजना किसानों को आर्थिक रूप से मदद देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, और अब इसका 6वीं किस्त का वितरण फरवरी या मार्च 2025 में होने की संभावना जताई जा रही है
क्या है नमो शेतकरी योजना?
नमो शेतकरी योजना के तहत, किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के साथ-साथ साल में 12,000 रुपये की अतिरिक्त मदद दी जाती है। यह राशि तीन समान किश्तों में दी जाती है, यानी हर किश्त में 2,000 रुपये मिलते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इस योजना के तहत वर्ष 2024 में 6वीं किस्त जारी करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।
6वीं किस्त का वितरण कब होगा?
योजना के तहत 6वीं किस्त का वितरण फरवरी या मार्च के पहले सप्ताह में होने की उम्मीद है। महाराष्ट्र के किसानों के बैंक खातों में यह राशि सीधे जमा की जाएगी, जो कि आधार से जुड़ी होगी। यह वितरण प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल तरीके से की जाएगी, जिससे किसानों को किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं होगा।
किसानों के लिए लाभ और उद्देश्य
नमो शेतकरी योजना का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाना है। सरकार की ओर से दी जाने वाली इस सहायता राशि का इस्तेमाल किसानों के कृषि खर्चों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। योजना के तहत एक साल में कुल 12,000 रुपये का लाभ किसानों को मिलता है, जो उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मददगार साबित होता है।
पात्रता और आवेदन प्रक्रिया
इस योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा जो महाराष्ट्र राज्य के निवासी और लघु या सीमांत किसान हैं। इसके लिए किसानों को अपनी कृषि संबंधित जानकारी और दस्तावेज़ ऑनलाइन जमा करने होंगे। किसानों को योजना में आवेदन करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना या प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का सदस्य होना आवश्यक है।
क्या हैं आवश्यक दस्तावेज?
नमो शेतकरी योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को कुछ जरूरी दस्तावेज़ की आवश्यकता होगी। इनमें आधार कार्ड, भूमि रिकॉर्ड, और अन्य कृषि संबंधित दस्तावेज़ शामिल हैं। सभी दस्तावेज़ सही और पूरी जानकारी के साथ ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने होंगे।
नमो शेतकरी योजना के फायदे
इस योजना के तहत किसानों को पीएम किसान योजना के अतिरिक्त 6,000 रुपये सालाना मिलते हैं। इसका उद्देश्य किसानों को कृषि व्यय के प्रबंधन में मदद करना और उनके वित्तीय संकट को कम करना है। इससे किसानों को खेती में प्रयोग होने वाली सामग्री खरीदने, कर्ज चुकाने, और अन्य जरूरी कार्यों में सहारा मिलता है।