महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार की गारंटी देती है। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीकृत मजदूरों को एक वर्ष में 100 दिन का काम दिया जाता है। हालांकि, हाल ही में ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई पंजीकृत मजदूरों ने काम की मांग नहीं की है, जिससे सरकार अब उनके जॉब कार्ड को ब्लॉक करने की तैयारी में है।
क्यों होंगे जॉब कार्ड ब्लॉक?
मनरेगा के अंतर्गत लाखों मजदूर पंजीकृत हैं, जिनमें से कई मजदूरों ने पिछले वर्ष में एक भी दिन काम की मांग नहीं की। गाजीपुर जिले का उदाहरण लें, जहां कुल 3.86 लाख जॉब कार्ड धारक हैं, लेकिन इनमें से केवल 46 हजार मजदूरों ने 100 दिन का काम किया है। बाकी मजदूरों ने पूरे वर्ष में काम की मांग नहीं की, जिससे सरकार ने ऐसे मजदूरों का सत्यापन करने का निर्णय लिया है और उनके जॉब कार्ड ब्लॉक किए जाएंगे।
काम नहीं मांगने के कारण
कोरोना महामारी के दौरान शहरों में रोजगार खत्म हो जाने पर बहुत से मजदूर अपने गांव लौट आए थे, और मनरेगा योजना ने उन्हें रोजगार का साधन उपलब्ध कराया। लेकिन अब जब स्थिति सामान्य हो गई है और मजदूर फिर से शहरों में या अन्य राज्यों में काम करने चले गए हैं, उन्होंने मनरेगा के तहत काम की मांग नहीं की है। ऐसे मजदूरों के जॉब कार्ड अब ब्लॉक किए जाने की संभावना है।
सत्यापन की प्रक्रिया
सरकार अब ब्लॉक स्तर पर सत्यापन करेगी, जिसमें यह देखा जाएगा कि किस मजदूर ने पिछले वर्ष काम की मांग की है और किसने नहीं। जो मजदूर दूसरे राज्यों में चले गए हैं या जिन्होंने काम की मांग नहीं की है, उनके जॉब कार्ड ब्लॉक कर दिए जाएंगे। इसकी जगह उन मजदूरों को दी जाएगी, जो वास्तव में काम के जरूरतमंद हैं।
जॉब कार्ड ब्लॉक होने के प्रभाव
जॉब कार्ड ब्लॉक होने पर मजदूर मनरेगा योजना के तहत काम नहीं कर सकेंगे। इसका मतलब यह है कि वे योजना के अंतर्गत किसी भी प्रकार का लाभ नहीं उठा पाएंगे। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जो मजदूर मनरेगा के अंतर्गत पंजीकृत हैं, वे समय-समय पर काम की मांग करें, ताकि उनका जॉब कार्ड सक्रिय बना रहे।
मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्य
मनरेगा के तहत विभिन्न प्रकार के काम किए जाते हैं, जैसे कि सड़क निर्माण, नहरें बनाना, तालाब खुदाई, भूमि विकास, सूखा राहत, और बाढ़ नियंत्रण। इन कामों के लिए मजदूरों की आवश्यकता होती है, और सरकार द्वारा इन्हें निर्धारित मजदूरी पर काम दिया जाता है।
मनरेगा योजना की विशेषताएं
मनरेगा योजना के तहत आवेदकों को उनके निवास स्थान के 5 किलोमीटर के दायरे में रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। यदि किसी मजदूर को आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर काम नहीं मिलता है, तो उसे बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी को कम करना और उन्हें स्थायी रोजगार के साधन प्रदान करना है।