झारखंड सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए मंइयां सम्मान योजना की शुरुआत की है। यह योजना विशेष रूप से राज्य की गरीब और असहाय महिलाओं के लिए है, जिनके जीवन स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। हालांकि इस योजना को लेकर राजनीति और कानूनी विवाद भी उठ खड़े हुए हैं, जिनकी वर्तमान स्थिति को लेकर हाल में झारखंड उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।
मंइयां सम्मान योजना का उद्देश्य
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा शुरू की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार लाना है। इस योजना के तहत राज्य की पात्र महिलाओं को सीधे उनके बैंक खातों में वित्तीय सहायता दी जाती है। योजना की शुरुआत से पहले सरकार ने इसे एक बड़ी सामाजिक पहल के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठाए गए थे।
योजना में प्रत्येक पात्र महिला को हर माह कुछ राशि दी जाती है, जो उनके घरेलू खर्चों में सहायक बन सकती है। यह योजना विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं और जिन्हें सरकारी योजनाओं से बाहर रखा जाता था।
राजनीतिक विवाद और विरोध
मंइयां सम्मान योजना पर विवाद तब शुरू हुआ जब विरोधी राजनीतिक दलों ने इस योजना को विधानसभा चुनाव के नजदीक होने के कारण चुनावी राजनीति से जोड़ दिया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह योजना केवल वोट बैंक को साधने के लिए लाई गई है। इसके अलावा, कुछ लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह योजना सरकारी कोष का गलत इस्तेमाल नहीं है, क्योंकि जनता के टैक्स से यह राशि दी जा रही है।
झारखंड उच्च न्यायालय का निर्णय
इस विवाद ने एक नया मोड़ लिया जब झारखंड उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई, जिसमें मंइयां सम्मान योजना को रोकने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार को किसी व्यक्ति विशेष को सीधे वित्तीय सहायता देने का अधिकार नहीं है, और यह योजना विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास है। अदालत ने इस याचिका को खारिज करते हुए योजना पर कोई रोक लगाने से मना कर दिया। न्यायालय का मानना था कि योजना को चलाने का उद्देश्य गरीब महिलाओं की मदद करना है, और इसका राजनीतिक उद्देश्य साबित नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री का बयान
मंइयां सम्मान योजना के खिलाफ दाखिल की गई याचिका के खारिज होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुशी व्यक्त की। उन्होंने इसे “राज्य की मंइयां की जीत” और “तानाशाही की हार” बताया। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इस फैसले से वह संतुष्ट हैं, लेकिन उनका कहना था कि विपक्ष इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है, और वह वहां भी इस लड़ाई को जारी रखेंगे।
मुख्यमंत्री ने इस फैसले पर तंज करते हुए कहा कि एक ओर जहां राज्य सरकार ने मंइयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं के खातों में लाखों रुपये भेजे, वहीं विपक्ष इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने इसे “अजब बेशर्मी” करार दिया।