प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों की आर्थिक सुरक्षा और कृषि उत्पादों के स्थिर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) को 2024-25 तक जारी रखने का निर्णय लिया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसल के उचित मूल्य दिलाना और बाजार में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना है।
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
PM-AASHA योजना की शुरुआत 2018 में हुई थी, जिसका उद्देश्य किसानों की फसल की उचित कीमत सुनिश्चित करना था। इस योजना के तहत, सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के माध्यम से फसलों की खरीद का प्रावधान किया है ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके और उन्हें बाजार के जोखिम से बचाया जा सके। योजना के अंतर्गत, मुख्य रूप से दलहन, तिलहन और अन्य फसलों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
सरकार ने इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए 35,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। इसका उद्देश्य किसानों के हितों की रक्षा करना और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को स्थिर रखना है, ताकि उपभोक्ताओं को भी लाभ मिल सके। इस योजना के तहत, चार प्रमुख घटक शामिल किए गए हैं:
- मूल्य समर्थन योजना (PSS): इस योजना के अंतर्गत सरकार किसानों की उपज को MSP पर खरीदती है, जिससे उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव का सामना नहीं करना पड़ता। तिलहन और दलहन जैसी फसलों के लिए यह योजना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनमें कीमतों में अस्थिरता अधिक होती है।
- मूल्य स्थिरीकरण निधि (PSF): यह निधि कृषि-उद्यानिकी उत्पादों जैसे प्याज, दाल आदि की कीमतों को स्थिर रखने के लिए उपयोग की जाती है। इसके तहत, सरकार इन उत्पादों का भंडारण करती है और बाजार में कीमतों के बढ़ने पर इन्हें जारी करती है, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ मिलता है और कीमतों में वृद्धि पर नियंत्रण रहता है।
- मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS): यह योजना उन किसानों के लिए है, जिनकी फसलें MSP से कम कीमत पर बिकती हैं। ऐसे किसानों को सरकार MSP और बाजार मूल्य के बीच के अंतर की भरपाई करती है। यह योजना तिलहन के लिए लागू की जाती है और इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उचित मुआवजा देना है।
- बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS): इस योजना का उद्देश्य बर्बादी और कीमतों में अत्यधिक गिरावट से बचाने के लिए त्वरित बाजार हस्तक्षेप करना है। विशेष रूप से प्याज, टमाटर और आलू जैसी जल्दी खराब होने वाली फसलों के लिए यह योजना कारगर सिद्ध होती है। सरकार बाजार में इन फसलों की कीमतें गिरने पर किसानों से खरीद कर उन्हें स्थिर रखती है।
किसानों के लिए लाभ
PM-AASHA योजना ने किसानों को कई प्रकार के लाभ प्रदान किए हैं। इसके माध्यम से सरकार ने तिलहन, दलहन और अन्य फसलों की खरीद को बढ़ावा दिया है, जिससे किसानों को MSP के अनुसार कीमतें मिल सकें। इससे किसानों में फसल उत्पादन के प्रति आत्मविश्वास बढ़ा है, क्योंकि उन्हें अपनी उपज के सही मूल्य की गारंटी मिल रही है।
इस योजना के अंतर्गत किसानों को उनकी फसल का मूल्य सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित किया जाता है। यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शी है, बल्कि भ्रष्टाचार को भी रोकती है। इसके अतिरिक्त, योजना के अंतर्गत किसानों को eSamridhi और eSamyukti जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर पंजीकरण की सुविधा दी गई है, जिससे उन्हें योजना का लाभ आसानी से मिल सके।
हाल के बदलाव और विस्तार
2024-25 तक PM-AASHA योजना का विस्तार किया गया है, जिसमें नए सुधार भी शामिल किए गए हैं। सरकार ने इस योजना के तहत Tur, Urad और Masur जैसी दालों की 100% खरीद का प्रावधान किया है, जिससे किसानों को पूरी तरह से MSP पर अपनी फसल बेचने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, योजना के अंतर्गत अन्य तिलहन और दलहन की खरीद 25% से बढ़ाकर 40% कर दी गई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इसका लाभ उठा सकें।
बाजार स्थिरीकरण और उपभोक्ताओं को लाभ
PM-AASHA योजना का लाभ न केवल किसानों को मिल रहा है, बल्कि इससे उपभोक्ताओं को भी फायदा हो रहा है। योजना के तहत, सरकार कृषि उत्पादों का भंडारण करती है और जब बाजार में इनकी कीमतें बढ़ती हैं, तब इन्हें जारी करके कीमतों को नियंत्रित करती है। इस प्रकार, उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर आवश्यक वस्तुएं मिलती हैं और बाजार में अस्थिरता पर नियंत्रण रहता है।
इसके अलावा, सरकार ने प्याज, टमाटर और आलू जैसी फसलों के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। इन फसलों की कीमतें अधिक अस्थिर होती हैं और इनके लिए सरकार ने परिवहन और भंडारण की व्यवस्था की है, ताकि उत्पादक राज्यों से उपभोक्ता राज्यों तक इन्हें समय पर पहुंचाया जा सके। इससे न केवल किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलता है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी उचित दामों पर ये वस्तुएं उपलब्ध हो पाती हैं।